election india watch is a bilingual blog that is intrepid, audacious, and utterly frank in its expressions on issues that are contemporary to India and the world.
Sunday, December 12, 2010
Thursday, December 09, 2010
kalmaadi-shastra
कलमाड़ी - शास्त्र
अपने प्यारे देश भारत में समय-समय पर जेबकतरे चोर और डाकू पकडे जाते हैं . हम उनकी बात नहीं कर रहे जो बेचारे जेल के अन्दर बाहर हो रहे होते हैं बल्कि उनकी बात कर रहे हैं जो पहले लाखों-करोड़ों और आजकल अरबों खरबों कि रकम सरकारी खजाने से गायब कर देते हैं. ये महान चोर अक्सर जानेमाने नेताजी मंत्रीजी नौकरशाह और मशहूर उद्योगपति-व्यापारी निकल जाते हैं . और हम भी निपट मासूमों कि तरह मुंह बाये देखते रह जाते हैं. अरे ! यह भी चोर निकला !
जबतक ७०,००० (सत्तर हज़ार) करोड़ कि लूट का किस्सा खुला जोकि commonwealth खेलों कि कहानी थी तब तक हम कलमाड़ी साहब को एक खेलप्रेमी और खेल-प्रशासक के रूप में जानते थे - अलबत्ता ऐसा खेल-प्रशासक जिसे भारतीय खेल-खिलाडी कि बेहतरी से कोई मतलब नहीं था. अब कलमाड़ी और ठगी और लूट पर्याय बनते जा रहे हैं.
पकडे जाने पर या पर्दाफाश होने पर सभी भ्रष्टाचारी चीखते चिल्लाते नज़र आते हैं. क्या कहा चोरी, और मैं !! झूठ ! बेबुनियाद ! षड़यंत्र है ! आदि आदि .......
तो क्यों न हम सबसे पहले घूसखोरी का शब्दकोष बनाने कि कोशिश करें...! इससे व्यवस्था अदालत और विद्यार्थी जन ही नहीं हमारे मासूम नागरिकों का भी भला होगा - उन्हें समझ में आ जायेगा कि जब उनसे ऐसे कहा जाता है तो उसका अर्थ क्या होता है...... मसलन घूस को प्रसाद कहने कि पुरानी परंपरा है. मैं एक थाने में जब मित्र कि चोरी हो गयी बरामद गाडी छुडवाने गया तो जनाब थानेदार के दाहिने हाथ ने कहा चलिए...मिठाई खिलाइए ...! यहाँ मिठाई का हरगिज़ मतलब किसी मिठाई से नहीं था बल्कि सीधे सीधी घूस कि रकम से था जो कि मित्र को हर्ष प्रकट करते हुवे देना था .
एक अदालत में जब मैं अपने ही कागजात कि अभिप्रमाणित प्रति लेने गया तो क्लर्क साहब ने कहा .....चलिए ...खर्चा निकालिए....! यहाँ खर्चा का एक ही आशय था कि बेटा घूस नहीं दिए तो रोज़ आना पड़ेगा.....
एक दुसरे कोर्ट में कागजात कि कुछ और प्रतियां लेते हुवे एक अन्य क्लर्क ने मांग यूँ रखी.... जल्दी करिए.....चक्का लगाइए....! यकीनन मैं कुछ पल भौंचक्का रहा था पर फिर समझ आ गया कि यदि फाइल में पैसे का चक्का लगाया नहीं गया तो मेरी फाइल उसी टेबल पर बैठी रह जाएगी......
यानी कलमाड़ी शास्त्र कि खूबसूरती यह हैं कि आप व्यवस्था और कोर्ट को समझा सकते नहीं कि जब आपसे चक्का लगाने और खर्चा करने कहा गे तो दरअसल आपसे घूस माँगा जा रहा था......और चूँकि आपको अपनी पूरी ज़िन्दगी भारत में ही बितानी है तो आप भी सबकी गाड़ियों में चक्का लगते चलते हैं...
अब आखिर में.....कलमाड़ी-शास्त्र क्यों...? वजह सीधी है...कोई देशवासी इतना हुनरमंद हो कि हमारी-आपकी जेबसे सत्तर हज़ार करोड़ गायब करदे और फिर कहे कि देखो दुनिया में तुम्हारी इज्ज़त कितनी बढ़ा दी मैंने ...! तो ऐसे भारत रतन के नाम से एक शास्त्र कि पढ़ाई हो इतना तो हमारा फ़र्ज़ बनता है दोस्त....!!!!!!
अपने प्यारे देश भारत में समय-समय पर जेबकतरे चोर और डाकू पकडे जाते हैं . हम उनकी बात नहीं कर रहे जो बेचारे जेल के अन्दर बाहर हो रहे होते हैं बल्कि उनकी बात कर रहे हैं जो पहले लाखों-करोड़ों और आजकल अरबों खरबों कि रकम सरकारी खजाने से गायब कर देते हैं. ये महान चोर अक्सर जानेमाने नेताजी मंत्रीजी नौकरशाह और मशहूर उद्योगपति-व्यापारी निकल जाते हैं . और हम भी निपट मासूमों कि तरह मुंह बाये देखते रह जाते हैं. अरे ! यह भी चोर निकला !
जबतक ७०,००० (सत्तर हज़ार) करोड़ कि लूट का किस्सा खुला जोकि commonwealth खेलों कि कहानी थी तब तक हम कलमाड़ी साहब को एक खेलप्रेमी और खेल-प्रशासक के रूप में जानते थे - अलबत्ता ऐसा खेल-प्रशासक जिसे भारतीय खेल-खिलाडी कि बेहतरी से कोई मतलब नहीं था. अब कलमाड़ी और ठगी और लूट पर्याय बनते जा रहे हैं.
पकडे जाने पर या पर्दाफाश होने पर सभी भ्रष्टाचारी चीखते चिल्लाते नज़र आते हैं. क्या कहा चोरी, और मैं !! झूठ ! बेबुनियाद ! षड़यंत्र है ! आदि आदि .......
तो क्यों न हम सबसे पहले घूसखोरी का शब्दकोष बनाने कि कोशिश करें...! इससे व्यवस्था अदालत और विद्यार्थी जन ही नहीं हमारे मासूम नागरिकों का भी भला होगा - उन्हें समझ में आ जायेगा कि जब उनसे ऐसे कहा जाता है तो उसका अर्थ क्या होता है...... मसलन घूस को प्रसाद कहने कि पुरानी परंपरा है. मैं एक थाने में जब मित्र कि चोरी हो गयी बरामद गाडी छुडवाने गया तो जनाब थानेदार के दाहिने हाथ ने कहा चलिए...मिठाई खिलाइए ...! यहाँ मिठाई का हरगिज़ मतलब किसी मिठाई से नहीं था बल्कि सीधे सीधी घूस कि रकम से था जो कि मित्र को हर्ष प्रकट करते हुवे देना था .
एक अदालत में जब मैं अपने ही कागजात कि अभिप्रमाणित प्रति लेने गया तो क्लर्क साहब ने कहा .....चलिए ...खर्चा निकालिए....! यहाँ खर्चा का एक ही आशय था कि बेटा घूस नहीं दिए तो रोज़ आना पड़ेगा.....
एक दुसरे कोर्ट में कागजात कि कुछ और प्रतियां लेते हुवे एक अन्य क्लर्क ने मांग यूँ रखी.... जल्दी करिए.....चक्का लगाइए....! यकीनन मैं कुछ पल भौंचक्का रहा था पर फिर समझ आ गया कि यदि फाइल में पैसे का चक्का लगाया नहीं गया तो मेरी फाइल उसी टेबल पर बैठी रह जाएगी......
यानी कलमाड़ी शास्त्र कि खूबसूरती यह हैं कि आप व्यवस्था और कोर्ट को समझा सकते नहीं कि जब आपसे चक्का लगाने और खर्चा करने कहा गे तो दरअसल आपसे घूस माँगा जा रहा था......और चूँकि आपको अपनी पूरी ज़िन्दगी भारत में ही बितानी है तो आप भी सबकी गाड़ियों में चक्का लगते चलते हैं...
अब आखिर में.....कलमाड़ी-शास्त्र क्यों...? वजह सीधी है...कोई देशवासी इतना हुनरमंद हो कि हमारी-आपकी जेबसे सत्तर हज़ार करोड़ गायब करदे और फिर कहे कि देखो दुनिया में तुम्हारी इज्ज़त कितनी बढ़ा दी मैंने ...! तो ऐसे भारत रतन के नाम से एक शास्त्र कि पढ़ाई हो इतना तो हमारा फ़र्ज़ बनता है दोस्त....!!!!!!
Labels:
art of bribery,
commonwealth games,
kalmadi,
kalmadi-shastra,
scams
Tuesday, May 11, 2010
election india watch: The Curse of Nehru
nehru dynasty,varun gandhi,politics,election india watch: The Curse of Nehru
Monday, May 10, 2010
naya poonjivaad aur sadakon per shaheed .
भारत में जब नव-पूँजीवाद का जन्म हुआ तो उसका रंग लाल था , पूर्णतः नौसिखियों के हाथ में था, बेरोकटोक था और नागरिकों को जानोमाल सहित रौंद डालता था . दिल्ली के नागरिक उनदिनों इसे redline रेड लाइन बस सर्विस के नाम से पहचानते थे. इस बस सेवा ने इतने जनों की इह लीला समाप्त कर दी थी की लोग इन्हें कातिल बसें कहा करते थे. पूर्णतः प्राइवेट और गुमनाम मालिकों की ये बसें दिल्ली परिवहन निगम की सरकारी और लचर सेवा से लोगों को राहत दिलाने हेतु शुरू करवाई गयी थीं. जब इन बसों ने असामान्य संख्या में मानव की हत्या कर दी तो असंतोष बढ़ चला. विधान सभा चुनावों के दिन थे, भारतीय जनता पार्टी के मुख्य मंत्री के दावेदार ने घोषणा की कि जीतने के बाद सबसे पहले वे इन कातिल बसों को बंद कर देंगे . चुनाव का नतीजा आया और भाजपा कि सरकार आसानी से बनी वे जनाब मुख्य मंत्री भी बने . और इसके बाद उनकी घोषणा भी हुई कि महीने भर के अन्दर सभी रेड लाइन बसों के मालिक अपनी बसों का रंग नीला करवा लें !!! वे ही रेड लाइन बसें अब रंग बदल कर ब्लू लाइन बससेवा कहलाने लगीं !!! प्रसंगवश बताते चलें कि मुख्य मंत्री थे श्री मदन लाल खुराना. अब रेड लाइन कि जगह ब्लू लाइन लोगों की जान की दुश्मन बन गयीं . ड्राईवर वे ही रहे conductor / खलासी भी वही रहे और यकीनन मालिक तो सभी वही रहे बस नए नए शहरी शहीद होते गए. भारत में व्यवस्था जब बदलती है वाद जब बदलता है प्रगति और नयी सोच जब नए नारे बनते हैं तो इनके अमली रूप का पहला शिकार आम आदमी बनता है. यही बेचारा आम आदमी छत्तीसगढ़ में, झारखण्ड में, बंगाल के गाँव में व्यवस्था, नयी पूँजी, और राजनीतिक भूख का पहला शिकार होता है. ये सभी तत्त्व उसके विकास के लिए इतने चिंतित जो हैं !!!
Labels:
blue line buses,
poonjivaad,
sadak ke log,
sarkari vikas
Tuesday, April 27, 2010
Thursday, April 22, 2010
यह आई पी एल का किस्सा क्या है ??
कम लोग जानते हैं कि अमेरिका एक धर्म-पारायण देश है। वहां के अनेक राज्यों में जुआ खानों पर प्रतिबन्ध है । बस एक अमरीकी शहर है जो भोग विलास के सभी कल्पनीय आकर्षणों से सुसज्जित है जिसे आप इन्द्रपुरी कह सकते हैं , अमरीकी लोग इसे लॉस वेगस कह कर पुकारते हैं। लॉस वेगस समूचे विश्व की जुआ राजधानी है । यहाँ के सभी पांच सितारा, सात सितारा होटल विशाल जुआ-घर हैं। अल्प-वस्त्री, निर्वस्त्री देवी कायायें हरेक मुद्रा एवं भंगिमा में मंच के ऊपर या आपके इर्द गिर्द संगीत के साथ झूमती रहती हैं। बेशक मदिरा और मदिरा और मदिरा .... । यहाँ बाकी आपकी कल्पना पर छोड़े देते हैं... ।
भारत में अब सालाना आई पी एल उत्सव मनाया जाता है । इस आई पी एल महीने में भारत के सभी महानगर लॉस वेगस की तर्ज़ पर महान जुआ-घर बन जाते हैं। सभी टीवी चैनल अखबार बिक जाते हैं - खबर एक ही है, सोच एक ही है , प्रेरणा भी एक ही है - अनुमान लगायें इस बार आई पी एल कौन जीतेगा ? टीमों के खिलाडी करोड़ों में खरीदे जा रहे हैं - बोली लगाकर ! टीमें खरीदी जा रही हैं अरबों की बोली लगा कर !! टीमों का सार्वजनिक चेहरा फ़िल्मी सितारों को बनाया जा रहा है ! टीमों की बंदरबांट बी सी सी आई को हांकने वाले उद्योगपति आपस में रजामंदी से कर ले रहे हैं ! भारत सरकार के मंत्री अपना पोर्टफोलियो का काम छोड़कर मित्रों एवं बिज़नस पार्टनर आदि को मालिकाना हिस्सा दिलवाने में एडी चोटी का दम लगाये हुवे हों । और इस सारे काले कारोबार में असल बात कोई नहीं उठा रहा हो की आखिर पैसे की यह बारिश क्यों और कहाँ से हो रही है ???? ऐसा कौन सा नुस्खा है जिससे पचास करोड़ टूर्नामेंट भर में सौ करोड़ बन जायेंगे ??? दो सौ करोड़ बढ़कर चार सौ करोड़ बन जायेंगे ??? उद्योगपतियों को आसानी से पैसे कई गुना करने का आसान तरीका क्यों इतना पसंद आ रहा है ??? और ऐसा नहीं है तो वे महज एक क्रिकेट टूर्नामेंट के प्रति इतने दीवाने क्यों हुवे जा रहे हैं ???
प्रश्न यह भी है की बम्बई और बंगलोर में रेस्तोरां में गरीब बार-बालाएं नाचने से प्रतिबंधित हैं - इसे भारतीय संस्कृति के खिलाफ मान लिया जाता है ; जबकि अल्प वस्त्र-धारी श्वेत चरम विदेशी नर्तकी हर चौके छक्के पर मंच पर चढ़कर नाचने लगे तो इसे भारतीय संस्कृति का नया स्वरुप घोषित कर दिया गया है । और यह नृत्य चालीस-पचास हज़ार दर्शकों के सामने कराया जाता है ।
समझने वाली बात एक और भी है - अंतर-राष्ट्रीय टीवी प्रसारण के ज़रिये अब आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हों वहीँ से क्रिकेट के सुट्टा बाज़ार में अपनी बोली लगा सकते हैं और यकीनन जैसा की नियम है जुआघर कभी भी पैसे नहीं हारता , जुआरी ही बारी बारी से पैसे हारते हैं ।
देवयानी।
भारत में अब सालाना आई पी एल उत्सव मनाया जाता है । इस आई पी एल महीने में भारत के सभी महानगर लॉस वेगस की तर्ज़ पर महान जुआ-घर बन जाते हैं। सभी टीवी चैनल अखबार बिक जाते हैं - खबर एक ही है, सोच एक ही है , प्रेरणा भी एक ही है - अनुमान लगायें इस बार आई पी एल कौन जीतेगा ? टीमों के खिलाडी करोड़ों में खरीदे जा रहे हैं - बोली लगाकर ! टीमें खरीदी जा रही हैं अरबों की बोली लगा कर !! टीमों का सार्वजनिक चेहरा फ़िल्मी सितारों को बनाया जा रहा है ! टीमों की बंदरबांट बी सी सी आई को हांकने वाले उद्योगपति आपस में रजामंदी से कर ले रहे हैं ! भारत सरकार के मंत्री अपना पोर्टफोलियो का काम छोड़कर मित्रों एवं बिज़नस पार्टनर आदि को मालिकाना हिस्सा दिलवाने में एडी चोटी का दम लगाये हुवे हों । और इस सारे काले कारोबार में असल बात कोई नहीं उठा रहा हो की आखिर पैसे की यह बारिश क्यों और कहाँ से हो रही है ???? ऐसा कौन सा नुस्खा है जिससे पचास करोड़ टूर्नामेंट भर में सौ करोड़ बन जायेंगे ??? दो सौ करोड़ बढ़कर चार सौ करोड़ बन जायेंगे ??? उद्योगपतियों को आसानी से पैसे कई गुना करने का आसान तरीका क्यों इतना पसंद आ रहा है ??? और ऐसा नहीं है तो वे महज एक क्रिकेट टूर्नामेंट के प्रति इतने दीवाने क्यों हुवे जा रहे हैं ???
प्रश्न यह भी है की बम्बई और बंगलोर में रेस्तोरां में गरीब बार-बालाएं नाचने से प्रतिबंधित हैं - इसे भारतीय संस्कृति के खिलाफ मान लिया जाता है ; जबकि अल्प वस्त्र-धारी श्वेत चरम विदेशी नर्तकी हर चौके छक्के पर मंच पर चढ़कर नाचने लगे तो इसे भारतीय संस्कृति का नया स्वरुप घोषित कर दिया गया है । और यह नृत्य चालीस-पचास हज़ार दर्शकों के सामने कराया जाता है ।
समझने वाली बात एक और भी है - अंतर-राष्ट्रीय टीवी प्रसारण के ज़रिये अब आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हों वहीँ से क्रिकेट के सुट्टा बाज़ार में अपनी बोली लगा सकते हैं और यकीनन जैसा की नियम है जुआघर कभी भी पैसे नहीं हारता , जुआरी ही बारी बारी से पैसे हारते हैं ।
देवयानी।
Wednesday, March 31, 2010
देवी सत्ता मांग रहीं हैं
अपने दिलचस्प देश - भारत में राजनीति विचित्र रास्तों से गुजरती है। आजकल नारी आरक्षण का बावेला मचा हुआ है । इसी देश ने बार बार इंदिरा गाँधी को प्रधान मंत्री बनाया , आज देश की सबसे बड़ी पार्टी की नेत्री उन्हीं देवी की बहू सोनिया गाँधी हैं। उत्तर प्रदेश पर विशाल बहुमत से एकछत्र सरकार चलानेवाली मायावती जी बहुजन समाज पार्टी की सवेसर्वा अर्थात सुप्रीमो हैं। aiadmk की सुप्रीमो यानी एकछत्र नेत्री देवी जयललिता हैं। पश्चिम बंगाल की अगली अनुमानित मुख्य मंत्री देवी ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस दल की एकछत्र नेत्री हैं। यहाँ तक कि भारतीय जनशक्ति पार्टी कि सर्वेसर्वा भी एक महिला हैं - देवी उमा भारती ।
इन सभी देवियों को दबंग राजनीतिक हस्ती बनने में किसी महिला आरक्षण कि ज़रुरत नहीं पड़ी । प्रधानतः पुरुषों ने ही आगे बढ़कर इनके नेतृत्व को सलाम किया और फिर सिजदा भी किया। आज यह समझने की ज़रुरत है की नारी आरक्षण को किसी तरह की क्रांति घोषित करने वाले, इस देश के साथ कितनी बड़ी जालसाजी कर रहे हैं। क्या इतनी सारी देवियाँ सुप्रीमो होते हुवे भी मजबूर होकर पुरुषों को चुनावी टिकट दे देती हैं ???? अतः ज़रूरी हो जाता है की ऐसा कानून बने जिससे नारी को ३३ प्रतिशत सीटों की गारंटी हो ????
कड़वी सच्चाई यह है कि भगवती देवी कभी भी ब्रिंदा करात , सुषमा स्वराज या हेमा मालिनी या प्रियंका गाँधी के खिलाफ चुनाव जीत नहीं सकती। और पत्थर तोड़ने वाली भगवती देवी को टिकट देने का साहस केवल कोई समाजवादी पार्टी ही कर सकती है मसलन राजद (राष्ट्रीय जनता दल ) . तो फिर खेल आखिर क्या चल रहा है ?
खेल सिर्फ इतना ही है कि दलित वोट पूरी तरह से मायावती जी को समर्पित हो चूका है । मुस्लिम अल्पसंख्यक वोट समाजवादियों कि तरफ झुका रहेगा और ओबीसी यानी पिछड़ों को कांग्रेस, भाजपा कि नीयत पर हमेशा ही संदेह बना रहा। ऐसे में महिला आरक्षण कांग्रेस पार्टी का अपना ख़ास फ़ॉर्मूला इजाद किया गया है जिससे यह पार्टी अपने बूते पर सरकार बना सके। विधायिका में महिला आरक्षण वास्तविकता में क्रांति के नाम पर भारतीय नारी के साथ एक बहुत बड़ा मजाक है। आश्चर्य तो यह है कि भाजपा भी इस बंदरबांट में अपने लिए फायदे ही फायदे देख रही है। और हमलोग समझ रहे थे कि भाजपा ने चुनाव जीतने का आखिरी नुस्खा इजाद कर लिया है।
इन सभी देवियों को दबंग राजनीतिक हस्ती बनने में किसी महिला आरक्षण कि ज़रुरत नहीं पड़ी । प्रधानतः पुरुषों ने ही आगे बढ़कर इनके नेतृत्व को सलाम किया और फिर सिजदा भी किया। आज यह समझने की ज़रुरत है की नारी आरक्षण को किसी तरह की क्रांति घोषित करने वाले, इस देश के साथ कितनी बड़ी जालसाजी कर रहे हैं। क्या इतनी सारी देवियाँ सुप्रीमो होते हुवे भी मजबूर होकर पुरुषों को चुनावी टिकट दे देती हैं ???? अतः ज़रूरी हो जाता है की ऐसा कानून बने जिससे नारी को ३३ प्रतिशत सीटों की गारंटी हो ????
कड़वी सच्चाई यह है कि भगवती देवी कभी भी ब्रिंदा करात , सुषमा स्वराज या हेमा मालिनी या प्रियंका गाँधी के खिलाफ चुनाव जीत नहीं सकती। और पत्थर तोड़ने वाली भगवती देवी को टिकट देने का साहस केवल कोई समाजवादी पार्टी ही कर सकती है मसलन राजद (राष्ट्रीय जनता दल ) . तो फिर खेल आखिर क्या चल रहा है ?
खेल सिर्फ इतना ही है कि दलित वोट पूरी तरह से मायावती जी को समर्पित हो चूका है । मुस्लिम अल्पसंख्यक वोट समाजवादियों कि तरफ झुका रहेगा और ओबीसी यानी पिछड़ों को कांग्रेस, भाजपा कि नीयत पर हमेशा ही संदेह बना रहा। ऐसे में महिला आरक्षण कांग्रेस पार्टी का अपना ख़ास फ़ॉर्मूला इजाद किया गया है जिससे यह पार्टी अपने बूते पर सरकार बना सके। विधायिका में महिला आरक्षण वास्तविकता में क्रांति के नाम पर भारतीय नारी के साथ एक बहुत बड़ा मजाक है। आश्चर्य तो यह है कि भाजपा भी इस बंदरबांट में अपने लिए फायदे ही फायदे देख रही है। और हमलोग समझ रहे थे कि भाजपा ने चुनाव जीतने का आखिरी नुस्खा इजाद कर लिया है।
Subscribe to:
Posts (Atom)