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Monday, May 10, 2010
naya poonjivaad aur sadakon per shaheed .
भारत में जब नव-पूँजीवाद का जन्म हुआ तो उसका रंग लाल था , पूर्णतः नौसिखियों के हाथ में था, बेरोकटोक था और नागरिकों को जानोमाल सहित रौंद डालता था . दिल्ली के नागरिक उनदिनों इसे redline रेड लाइन बस सर्विस के नाम से पहचानते थे. इस बस सेवा ने इतने जनों की इह लीला समाप्त कर दी थी की लोग इन्हें कातिल बसें कहा करते थे. पूर्णतः प्राइवेट और गुमनाम मालिकों की ये बसें दिल्ली परिवहन निगम की सरकारी और लचर सेवा से लोगों को राहत दिलाने हेतु शुरू करवाई गयी थीं. जब इन बसों ने असामान्य संख्या में मानव की हत्या कर दी तो असंतोष बढ़ चला. विधान सभा चुनावों के दिन थे, भारतीय जनता पार्टी के मुख्य मंत्री के दावेदार ने घोषणा की कि जीतने के बाद सबसे पहले वे इन कातिल बसों को बंद कर देंगे . चुनाव का नतीजा आया और भाजपा कि सरकार आसानी से बनी वे जनाब मुख्य मंत्री भी बने . और इसके बाद उनकी घोषणा भी हुई कि महीने भर के अन्दर सभी रेड लाइन बसों के मालिक अपनी बसों का रंग नीला करवा लें !!! वे ही रेड लाइन बसें अब रंग बदल कर ब्लू लाइन बससेवा कहलाने लगीं !!! प्रसंगवश बताते चलें कि मुख्य मंत्री थे श्री मदन लाल खुराना. अब रेड लाइन कि जगह ब्लू लाइन लोगों की जान की दुश्मन बन गयीं . ड्राईवर वे ही रहे conductor / खलासी भी वही रहे और यकीनन मालिक तो सभी वही रहे बस नए नए शहरी शहीद होते गए. भारत में व्यवस्था जब बदलती है वाद जब बदलता है प्रगति और नयी सोच जब नए नारे बनते हैं तो इनके अमली रूप का पहला शिकार आम आदमी बनता है. यही बेचारा आम आदमी छत्तीसगढ़ में, झारखण्ड में, बंगाल के गाँव में व्यवस्था, नयी पूँजी, और राजनीतिक भूख का पहला शिकार होता है. ये सभी तत्त्व उसके विकास के लिए इतने चिंतित जो हैं !!!
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